सेवा, स्वभाव व आत्मविश्वास से मातृशक्ति के लिए प्रेरणा बनीं डा दीपा
बूंखालः इस बार असंख्य लोगों की आराध्य देवी मां बूंखाल कालिंका के दर्शनों के लिए अपेक्षाकृत भीड़ अधिक रही। भीड़ का आलम यह रहा कि कई बार मंदिर परिसर पर पैदल आवाजाही तक स्थिर होती रही। भंडारों में सेवादार सेवा में जुटे थे। इन्हीं सेवादारों में वहीं के स्थानीय गांव नौगांव निवासी डा दीपा रावत भी थीं, जो प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डा धन सिंह रावत की धर्मपत्नी हैं। वह भी भंडारे में प्रसाद वितरण में सहयोगी रही, और उल्लेखनीय यह है कि मातृशक्ति के बीच सेवा, स्वभाव व आत्मविश्वास के साथ जिम्मेदारी की भी वह प्रेरणा देती रही।
समय के साथ व्यक्ति बदलता है लेकिन जीवन मूल्य नहीं, दायरे ओर दिशाएं बदलती है लेकिन आदर्शों का स्थान अपनी जगह होता है। बूंखाल मेले में प्रसाद वितरण की बात भले ही बेहद सामान्य हो, लेकिन सेवा के साथ मीठे स्वभाव की पूरे सम्मान के साथ चर्चाएं यदि हों और खासतौर पर मातृशक्ति के बीच, तो यही रास्ते प्रेरणादायी भी बनाते हैं और आदर्श भी। मेले मे लगे भंडारे में डा दीपा ने जितनी देर भी सेवा दी हो लेकिन इसी बीच मातृशक्ति के साथ ही उन्हें कई लोगों ने पहचानने की कोशिश की। उन्होंने हाथ बढ़ाया तो अन्य महिलाओं को भी दायित्व बोध हुआ।
सेवा के साथ ही मेला परिसर में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के मंच पर भी पूरे आत्मविश्वास के साथ मातृशक्ति का प्रतिनिधित्व करती वह नजर आई, तो वहां मौजूद मातृशक्ति के सैलाब ने उस व्यक्तित्व में स्वयं को तलाशने की कोशिश जरूर की होगी। जिनके स्वभाव में उन्होंने स्नेह की पावनता भी देखी तो जिम्मेदारियों के लिए भरोसे के साथ खड़े होने का जज्बा भी। स्थानीय से लेकर बाहर से मां बूंखाल के दर्शनों को आए श्रद्धालुओं ने उनकी सेवा, स्वभाव व जिम्मेदारी के प्रति उनके आत्मविश्वास की खूब प्रशंसा की। महिलाओं का कहना है कि वह अपनी हर जिम्मेदारी बूखबी निभाती हैं।
मेले के हुजूम और आनंदित भीड़ के बीच धीमे स्वरों में होती इस तरह की प्रशंसा भले ही एक बार में कम को सुनाई दे, लेकिन समाज को प्रेरित करने के लिए यह बेहद असरकार होती है और प्रसारक भी। इसमें वह सच्चाई होती है जिसे कोई नकार नहीं सकता। मातृशक्ति में आत्मविश्वास व दायित्वबोध के संचार के लिए डा दीपा बधाई की पात्र हैं।