श्रीनगर विधान सभाः वरिष्ट कांग्रेसी महेश ढौंडियाल ने पेश की दावेदारी
पौड़ीः वर्ष 1984 में युवक कांग्रेस के महासचिव पद संभालने के बाद से अनवरत पार्टी की सेवा करने वाले वरिष्ट कांग्रेसी नेता पौड़ी ढौंडियालस्यूं निवासी महेश ढौंडियाल ने इस बार भी अपनी पुस्तैनी सीट श्रीनगर विधान सभा से चुनाव के लिए दावेदारी पेश की है। पूर्व में हुए चुनावों में भी उनकी दावेदारी प्रबल रही। लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला। इस बार उन्हें उम्मीद है कि पार्टी के प्रति उनकी निष्टा और समर्पण सम्मान होगा, उन्हेें अवश्य अवसर मिलेगा और वह स्वयं को साबित कर सकेंगे।
अविभाजित उत्तर प्रदेश में 1989 के बाद से कांग्रेस लगभग ख़त्म हो गई थी। लेकिन कई कार्यकर्ताओं की निष्ठाएं अपनी जगह बनी रही। जब उत्तराखंड राज्य बना तो सूबे में कांग्रेसी मात्र एक विधायक के सी सिंह बाबा थे। इसी दौरान पौडी बचाओ आंदोलन हुआ, जिसका नेतृत्व महेश ढौंडियाल ने किया। आम जन के इस संघर्ष को दबाने के लिए तात्कालीन सरकार ने कार्रवाई की और आंदोलन के नेता समेत तकरीबन 16 आंदोलनकारियों को रोशनाबाद जेल भेजा गया। जहां 11 दिन की जेल के बाद उन्हें जमानत मिली। और उसके बाद फिर पूरी नेतृत्व क्षमता के साथ आंदोलन जारी रखा। उस आंदोलन का ही असर रहा कि तब भाजपा के दिग्गज मोहन सिंह रावत गाँववासी जी ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। और परिणाम यह रहा कि पौडी जनपद से कांग्रेस को सात सीटें मिली और कांग्रेस ने प्रदेश में 36 विधायकों के साथ सरकार बनाई।
जनपद से प्रदेश और चुनाव के समय अन्य प्रांतों में भी महेश ढौंडियाल पार्टी संगठन की ओर से मिली जिम्मेदारियों को बखूबी निर्वहन किया। लेकिन हैरत है कि जो सम्मान उन्हें मिलना चाहिए था उससे वह उपेक्षित ही रहे।
वह बताते हैं कि जब पंडित नारायण दत्त तिवारी सीएम थे तो उन्हें 2006 में चारधाम का उपाध्यक्ष राज्य मंत्री बनाकर एक अवसर दिया गया था। लेकिन तब मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने इस पर एतराज किया और उन्हें इस अवसर से वंचित रहना पड़ा। लेकिन तमाम उपेक्षाओं के बाद भी पार्टी के प्रति उनकी निष्ठाएं कभी डगमगाई नहीं।
पार्टी टिकट के दावेदारी की बात करें तो वर्ष 1996 में भी कर्णप्रयाग सीट पर दावेदार के तौर पर उनका नाम सीईसी तक पहंुचा लेकिन तब वरिष्ठ नेता डा शिवानंद नौटियाल को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया। 2002 में नए परिसीमन के बाद थलीसैण विधान सभा के लिए महेश के नाम की फाइल सीईसी की टेबिल तक पहंची। 2005 में हुए कोटद्वार उपचुनाव में उन्हें प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी गई। धरातलीय राजनीति की अच्छी समझ रखने के साथ ही कुशल वक्ता होने के कारण उन्हें इसी वर्ष पार्टी ने प्रदेश प्रवक्ता बनाया। 2007 में भी थलीसैण सीट से उनकी दावेदारी प्रबल रही, लेकिन फिर उन्हें अवसर नहीं मिला। जबकि यहां उनका अच्छा खासा जनाधार भी है।
गत दिवस एआईसीसी के प्रभारी लक्ष्मण सिंह रावत के समक्ष उन्होंने 2022 में होने वाले विधान सभा चुनाव में श्रीनगर विधान सभा सीट से अपनी दावेदारी पेश की। महेश ढौंडियाल राठ क्षेत्र की ढौंडियालस्यूं पट्टी के रहने वाले हैं और कार्यक्षेत्र भी उनका शुरू से यहीं रहा है। अब देखना यह है कि इस बार कांग्रेस का प्रबंधन कैसे अपने प्रत्याशियों का निर्धारण करती है। फिलहाल तो उस सीट पर प्रदेश के मुखिया स्वयं ही पूर्व के प्रत्याशी रहे हैं। खबरें यह भी हैं चुनावी प्रबंधन की व्यवस्तताओं के चलते कांग्रेस उस सीट पर नए अवसरों की तलाश कर रही है।