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मुसीबत में कोई साथ दे ना दे, आयुष्मान जरूर साथ देगा, यह गारंटी है

कहते हैं बुरा वक्त सबसे बड़ा जादूगर होता है। एक ही झटके में वह अच्छे अच्छे करीबियों के चेहरों से नकाब हटा देता है। सच में, बुरे वक्त में तब दूरियों का अहसास होता है जब हर कोई कन्नी काटने लगता है। लेकिन आयुष्मान कार्ड एक ऐसा साथी है जो बुरे वक्त में भी साथ नहीं छोड़ता, बल्कि बुरे वक्त में ही काम आता है। इसलिए इस पर देर करना किसी भी नजरिए से समझदारी नहीं है।
आज का दौर प्रतिस्पर्द्धा का दौर है, और इस प्रतिस्पर्द्धा में धन के अपने मायने होते हैं। अगर आप आर्थिक बेहतर हैं तो आपका वक्त अच्छा है। लेकिन यदि किसी वजह से आर्थिकी खराब हुई तो वक्त स्वतः ही खराब हो जाता है। इससे पहले कई उदाहरण ऐसे हुए हैं जिनके अच्छे दिनों को उनकी बीमारियों ने संकट का दौर बना डाला।
जीवन भर की पूंजी इलाज में खर्च होने के उदाहरणों की भी कमी नहीं है। अपने वक्त पर नजदीकी और रिस्तेदार भी इस लिए किनारा करते हैं कि कहीं उपचार के खर्च में सहयोग ना करना पड़े। यहां किसी को दोष देना उचित नहीं होगा, क्योंकि हर किसी की अपनी मजबूरी होती है। लेकिन जब से राज्य सेवा प्राधिकरण द्वारा संचालित आयुष्मान योजना शुरू हुई तब से बुरे वक्त एक ऐसा साथ लोगों को मिल गया है जो हर दम हर हाल में साथ देगा। इसमें देशभर के 25 हजार से अधिक अस्पतालों में 15 सौ से अधिक बीमारियों का मुफ्त में उपचार होगा।
इसलिए समझदारी इसी में है कि हर कोई अपना आयुष्मान कार्ड बनाए। हालांकि प्रसन्नता इस बात की है कि लाखों की तादाद में कार्ड बन चुके हैं और लाखों आयुष्मान कार्ड धारक इसका लाभ भी उठा रहे हैं। इस उपचार पर सरकार 4 अरब से अधिक की धनराशि भी खर्च कर चुकी है। मुफ्त में बनने वाले आयुष्मान कार्ड में नफा ही नफा है। जिन्होंने नहीं बनाए उन्हें समय रहते आयुष्मान कार्ड बनाना चाहिए। क्योंकि बुरे वक्त में जो साथ रहता वही सच्चा साथी होता है। तो देर मत की कीजिए। अपने नजदीक के किसी भी जन सेवा केंद्र या यूटीआई केंद्र पर जाइए, और बना लाइए अपने बुरे वक्त के साथी आयुष्मान कार्ड को।
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा जारी photo google

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