कृषि मंत्री गणेश जोशी द्वारा गणेश जोशी द्वारा विधानसभा स्थित सभा कक्ष में कृषि विभाग के अंतर्गत सगंध पौधा केन्द्र, जड़ी बूटी शोध संस्थान, भेषज विकास इकाई, उत्तराखण्ड जैव प्रौद्योगिकी परिषद, रेशम विकास, औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार, बीज प्रमाणीकरण, जैविक उत्पाद परिषद एवं उत्तराखण्ड तराई एवं बीज विकास निगम से संबंधित अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की।
मा. मंत्री ने कृषि विभाग के अन्तर्गत सगंध प्रभाग केन्द्र के अधिकारियों को से लैमन ग्रास, तेजपत्ता मिंट कैमोमाईल के उत्पादन बढ़ाने तथा अधिक से अधिक किसानों को एरोमेटिक एग्रीकल्चर से जोड़ने संबंधी कार्ययोजना के सम्बन्ध में चर्चा की।
जड़ीबूटी शोध विकास सस्थान, उत्तराखण्ड जैव प्रोद्योगिकी परिषद, उत्तराखण्ड तराई बीज विकास निगम, रेशम विभाग, बीर चन्द्र सिंह गढवाली कृषि महाविद्यालय भारसार आदि विभागों के साथ उनके द्वारा की जा रही कार्य योजनाओं के सम्बन्ध में विस्तृत से चर्चा की। इस समान कार्य कर रहे विभागों को एक साथ लाने अथवा संविलयित करने की संभावनाओं का अध्ययन कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश भी दिए।
वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली औद्यानिकी एंव वानिकी विश्वविद्यालय भरसार के अधिकारियों तथा वैज्ञानिकों को वर्तमान में प्रचलित ग्रीन पल्पी कीवी के साथ ही यलो पल्पी तथा रेड पल्पी कीवि की प्रजातियों को विकसित करने तथा वर्तमान में उत्पादित होने वाले माल्टा (जो कि खट्टा भी होता है और रसीला भी कम है) के स्थान पर अधिक मीटे तथा रसीले माल्टा की नई प्रजाति को विकसित करने के भी निर्देश दिये। ताकि कीवी तथा माल्टा उत्पादों को बाजार में ज्यादा बेहतर दाम मिल सकें तथा ज्यादा किसान इस ओर आकर्षित हो सकें।
मा0 कृषि मंत्री ने कहा कि कृषकों की आय दोगुनी करने हेतु योजना बनाए। उन्होंने कहा कि हमारे एरोमेटिक उत्पादों और जड़ी बूटी उत्पादों की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बहुत मांग है इसलिए अन्तराष्ट्रीय मांग के रूप अनुरूप की रूपरेखा तैयार करें। इसके कारण उत्पादानों की अच्छी कीमत प्राप्त हो सकती है। भांग की खेती को कृषि विभाग के नेतृत्व में तथा पुलिस/राजस्व पुलिस की देखरेख में किए जाने की संभावनाओं पर भी कार्ययोजना बनाने के निदेश दिए गए।
मा. कृषि मत्री ने कहा कि इन विभागों में आपसी समन्वय की कमी दिखाई देती है। उन्हांने कहा कि विभिन्न विभाग में आपसी समन्वय व तालमेल बढाया जाय। कृषि विभाग के 100 दिन के विकास का खाका खीचने के निर्देश दिये। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट किया कि बैठकों में ही लेखे प्रस्तुत ना किए जाएं बल्कि धरातल पर किसानों तक योजनाओं का लाभ पहुंचे। साथ ही यह भी हिदायत दी कि हर बैठक में कम से कम पांच नई सक्सेस स्टोरी मुझे बताई जाएं।
इस अवसर पर बैठक में अपर सचिव राम विलास यादव, बीसी डॉ0 कर्नाटक, सीएपी डॉ. नृपेन्द्र चौहान, निदेशक के.सी पाठक, प्रबन्ध निदेशक विनय कुमार तथा अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।