भाजपा जिलाध्यक्ष पद पर एक ठाकुर और एक ब्राह्मण के फार्मूले से कार्यकर्ताओं में सुलग रही है आक्रोश की चिंगारी
जिला कार्यकारिणी के चुनाव को लेकर बीजेपी संगठन में जबरदस्त अंतर्विरोध
देहरादून/पौड़ी। प्रदेश में भाजपा संगठन इन दिनों जनपद स्तरीय कार्यकारिणी पर जिम्मेदारियां देने यानी अपने संगठन के जिला अध्यक्ष पद पर नियुक्ति देने पर मंथन कर रही है ।
पदाधिकारियों की नियुक्ति और कार्यकारणी के विस्तार पर यू तो भाजपा संगठन में हाई कमान के निर्देश ही सर्वमान्य होते रहे हैं। लेकिन इस बार का मंथन उसे कुछ भारी पड़ ता दिख रहा है। माना जा रहा है कि इस बार का चुनाव संगठन को परेशानी में डाल सकता है।
यह विरोध किसी विपक्षी या विरोधियों के कारण नहीं बल्कि इस बार उसके अपने ही उसके नए फार्मूले की मुखालफत रहे हैं।
भाजपा के संगठन के अंदर विरोध की चिंगारी धीरे-धीरे सुलगने लगी है। ऐसा बताया जा रहा है कि जनपद स्तर पर कार्यकारणी अध्यक्ष चुनाव में भाजपा संगठन जनपद में एक ब्राहमण और एक ठाकुर यानी एक जनपद में रमण तो दूसरे जनपद में ठाकुर कार्यकर्ता को जिम्मेदारी सौंपने के फार्मूले पर काम कर रही है।
यह बात जब सामान्य कार्यकर्ताओं तक पहुंची तो इस मामले में विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि ब्राह्मण लोगों का प्रतिशत प्रदेश में बमुश्किल 15 परसेंट है।
और उन्हें पचास प्रतिशत का स्पेस दिया जा रहा है यह कहीं से भी नया संगत नहीं है। सीधे तौर पर यह है ठाकुर वर्ग के कार्यकर्ताओं के स्पेस पर अतिक्रमण जैसा है।
वहीं यह भी कहा जा रहा है की यदि नए फार्मूले में मात्र 15 प्रतिशत ब्राह्मण समाज को 50 प्रतिशत स्पेस दिया जा रहा है तो फिर अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी, सरदार आदि समुदायों की भी हिस्सेदारी बनती है। सिर्फ ब्राह्मण समाज को तवज्जो देना असंतुलन और असंतोष की स्थितियों को पैदा करेगा।
यह विरोध अभी दबी जुबान से है लेकिन आने वाले दिनों में जब यह फॉर्मूला अमल में लाया जाता है तो निश्चित रूप से यह भाजपा संगठन के साथ ही पदाधिकारियों के लिए भी मुश्किलें बढ़ जायेंगी।