चुनाव से पूर्व किए गए वायदों की लकीरें चुनाव खत्म होते ही अक्सर मिट जाया करती हैं। लेकिन श्रीनगर विधान सभा के विधायक व सूबे के कबीना मंत्री डा धन सिंह रावत के मामले में ऐसा बिलकुल भी नहीं है। उनके बारे में साफ है कि जन हित में जो बोल दिया उसे करके दिखाना है, और चुनावी फल्लू तो कतई नहीं मारने।
विधान सभा चुनाव में उतरे एक नेता राठ क्षेत्र के प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का खम ठोक रहे थे। जो कहीं से भी संभव नहीं है और होगा। हालाकि ये पब्लिक है ये सब जानती है। जाहिर तौर पर उस नेता के खोखले खम को वोटरों ने भी सिरे से नकार कर उन्हें आज की तारीक में एक हिसाब से पूरी तरह से किनारे कर कर दिया। वहीं सही मायने में वो ही जनता के असली नेता होते हैं जो बुनियादी हालातों को संवारने की तरकीब ढूंढकर उसे धरातल पर उतारने का माद्दा रखते हैं।
आज शासन ने श्रीनगर शहर में पेयजल उपभोक्ताओं को बीस हजार लीटर पानी मुफ्त देने को लेकर शासनादेश जारी कर दिया है। पहले यह मात्रा दस हजार लीटर की थी लेकिन बाद में डा धन सिंह रावत ने इसे जस्ट डबल कर दिया था।
ऐन चुनाव से पहले हुई इस घोषणा को वो लोग कतई चुनावी शिगूफा और हवाई मान कर चल रहे थे जो डा धन सिंह रावत को ठीक से या तो जानते नहीं हैं या फिर उनके निजी स्वार्थ उन्हें जानने नहीं देते।
दस के बजाए बीस हजार लीटर पानी का वादा पूरा होने पर निश्चित रूप से श्रीनगर की जनता अपने नेता यानी धनदा का साधुवाद करते नहीं थक रही, जीओ जारी होने से सोशल मीडिया में आभार पटल का फैलाव इस बात को पुख्ता कर रही है। सच तो यह है कि अब उनके विरोधी भी इस बात कहने को स्वीकारन को विवश हो जाएंगे कि धनदा बेशक चलते अपने हिसाब से हैं लेकिन जनहितों को लेकर किए वादों को पूरा करने से वह कभी नहीं डिगे। इसीलिए तो कहते हैं कि धनदा जैसा कोई नहीं।