मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना के लिए सभी पर्वतीय 11 जिले चयनित*
सरकार की यह योजना चार जिलों की महिलाओं के लिए वरदान साबित हुई थी
उत्तराखंड राज्य के 4 जनपदों में मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना के सफलता के बाद अब उत्तराखंड सहकारिता विभाग ने समस्त पर्वतीय जनपदों को इस योजना के अंतर्गत ला दिया है। 11 जिलों के 88 एमपैक्स ( बहुद्देश्यीय प्रारम्भिक कृषि ऋण समितियां )
नए जोड़ दिए गए हैं। पर्वतीय क्षेत्र की महिलाओं के लिए यह योजना वरदान साबित हो रही है।
प्रदेश के सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना की समीक्षा बैठक में सचिव सहकारिता डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम को निर्देश दिये कि,
सम्पूर्ण पर्वतीय क्षेत्रों में इस महत्वाकांक्षी योजना को लागू करें। उन्होंने कहा कि चार जिलों में इस योजना के सफलता के बाद इसे पर्वतीय क्षेत्र के सभी 11 जिलों को इससे जोड़ा जा रहा है। सरकार का मकसद है कि, महिलाएं कष्ट में न जियें। उन्हें घर के आंगन में सहकारी बहुद्देश्यीय समिति के जरिये साइलेज मिले। डॉ रावत ने कहा कि, पर्वतीय क्षेत्र की 3 लाख महिलाओं के कंधों से घास के बोझ से छुटकारा मिलेगा।
सहकारिता मंत्री डॉ रावत ने कहा कि इस योजना के तहत उन्हें उनके गांव में ही पैक्ड सायलेज (सुरक्षित हरा चारा) और संपूर्ण मिश्रित पशुआहार (टीएमआर) उपलब्ध होगा। सरकार एक ओर जहां मक्के की खेती कराने में सहयोग देगी तो दूसरी ओर उनकी फसलों का क्रय भी करेगी। चारों तरफ से किसानों की आय दोगुनी हो, इस लक्ष्य के साथ पिछले छह साल से काम किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि, सायलेज और टीएमआर का संतुलित आहार देने से दूध में वसा की मात्रा एक से डेढ़ प्रतिशत बढ़ने के साथ ही दूध उत्पादन भी 15 से 20 प्रतिशत बढ़ जाती है इससे भी पशुपालकों की आय में इजाफा हुआ है।
डॉ रावत ने कहा कि, प्रदेश के पर्वतीय गांवों में करीब तीन लाख महिलाएं रोज अपने कंधों पर घास का बोझ ढ़ो रही हैं। वह चारा या घर में इस्तेमाल होने वाली ज्वलनशील लकड़ी के लिए रोजाना आठ से दस घंटे तक का समय देती हैं। इस वजह से उनके कंधों में दर्द, कमर दर्द, गर्दन दर्द, घुटनों की समस्या आम है। उन्हें अगर आसानी से घास मिलेगा तो हर महीने करीब 300 घंटे की बचत होगी। इसके साथ ही गांव में रहकर ही उनकी आमदनी बढ़ेगी। प्रदेश में पर्वतीय क्षेत्रों में चारे की कमी के बीच महिलाओं के कंधे पर चारा लाने की बड़ी जिम्मेदारी है। इससे उन्हें मुक्त करने के लिए ही मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना लाई गई है।
सहकारिता सचिव व परियोजना के मुख्य परियोजना निदेशक डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि, चार जनपद पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, चंपावत में 62 एमपैक्स के जरिये 75% अनुदान में महिलाओं को साइलेज वितरित किया जा रहा था। अब इस योजना से समस्त पर्वतीय जिलों टिहरी, उत्तरकाशी, चमोली, देहरादून, नैनीताल, बागेश्वर, पिथौरागढ़ को शामिल कर दिया गया है। नैनीताल और देहरादून के पर्वतीय विकास खंड इसमें शामिल कर लिए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि, उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में सहकारिता विभाग की राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना का केंद्रीय सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने पिछले वर्ष 30 अक्टूबर 2021 में देहरादून में उद्घाटन किया था।
सहकारिता विभाग के अपर निबन्धक व साइलेज फेडरेशन के एमडी श्री आनंद एडी शुक्ल ने साइलेज की समीक्षा बैठक में कहा कि, प्रदेश के दो हजार किसान परिवारों की दो हजार एकड़ भूमि पर मक्का की सामूहिक सहकारी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा मक्के की फसल तैयार है जो वैज्ञानिक तरीकों से फॉम्फील वैक्यूम मशीन से 30- 30 किलो के पैक्ड साइलेज पर्वतीय क्षेत्रों में 150 एम पैक्स के जरिए गांव – गांव भेजे जाने की तैयारी पर काम चल रहा है। श्री शुक्ल ने कहा कि एक ब्लॉक में दो एम पैक्स इसके लिए चयनित किये गए हैं।ताकि इसको प्राप्त करने के लिए ग्रामीणों को गांव के पास सुविधाएं मिल सकें।