गुरबत की एंबुलेंस को मिला ईंधन, तो उपेक्षित ग्रामीण बोले, थैंक्यू धनदा
– डंडी कंडी व्यवस्थाः हर किसी का दर्द गले से लगाना पड़ता है, यूं ही कोई धन सिंह नहीं हो जाता
राजधानी के वातानुकूलित कक्ष में स्वास्थ्य मंत्री डा धन सिंह रावत के समक्ष मीडियाकर्मियों ने उनकी डंडी कंडी व्यवस्था पर हैरानी जताई, तो कई मायनो में ये पत्रकार बंधू अपनी जगह सही थे। क्योंकि पुरानों से ही गर्दिश में जीने वाले उन पिछड़े और गुरबों में बारे में कभी किसी ने सोचा ही नहीं। तो फिर बात ही खतम हो जाती है। लेकिन सच तो यह है कि जिन गांवों में सड़क नहीं पहुंची वहां भी इंसान ही रहते हैं। जिस भी सूरत में हो उनकी मदद होनी चाहिए। डंडी कंडी के पीछे की असल सोच यही है। और यही सोच है जो धनदा को आम जनता के हित में सबसे हटकर और सबसे जमीन नेता का प्रमाण-पत्र देती है।
राज्य स्थापना के बाद से दो दशक से अधिक समय बीत गया है। पहाड़ी राज्य होने के कारण यहां जरूरत के अनुरूप आवागमन की सुविधाएं तमाम कारणों से मुहैया नहीं हो पाई हैं। लोगों को मोटर हैड तक पहुंचने के लिए मीलों का सफर पैदल तय करना पड़ता है। यह पैदल सफर तब और भी जोखिम भरा हो जाता है जब यहां किसी की तबीयत खराब होती है। वो तो शुक्र मनाओ गांवों के बड़े बुजुर्ग, पूर्वजों का जिन्होंने खराब स्थितियों का सामना करने के लिए डंडी कंडी का आविष्कार कर हमारी नई पीढ़ी को बगैर किसी पेंटेंट के सौंपा है।
गांवों की दशा सुधार की दिशा में एक से बढ़कर तुर्रमखां टाइप के लोगों ने अपना दिमाग निश्चित रूप से दौड़ाया लेकिन कुनबे की असल मुश्किल का यथा समय समाधान किसी को नहीं सूझा। जाहिर तौर पर सूझता भी कैसे, जब एअर कंडिशन कमरों में नियंता नीति बनाते हैं और नेता भी हवाओं में ही गोते खाने की कला में पारंगत होते रहे हैं।
प्रदेश के उन सैकड़ों गावों की हजारों की आबादी तय है कि अपने स्वास्थ्य मंत्री डा धन सिंह रावत को अभी तक का असली जननायक मानेगी। स्वास्थ्य मंत्री ने डंडी कंडी की व्यवस्था देकर सही मायनों में गांव के आखिरी छोर पर खड़े उस व्यक्ति के छालों पर मरहम लगाया है जो कभी भी राज सत्ता की नजरों में कभी रहा ही नहीं। सड़क न होने की स्थितियों में अपने लोगों को ऐसे तो नहीं छोड़ा जा सकता।
बहरहाल, स्वास्थ्य मंत्री की ओर दी गई नई व्यवस्थाओं में जिन गांवों में अभी तक सड़क नहीं है, और वहां मरीजों को सड़क तक लाने के लिए डंडी कंडी दी गई है, और जो लोग इसमें सहयोग करेंगे उनके लिए भुगतान का भी प्रावधान रखा गया है। गाड़ियों में चलने वाले इसकी अहमियत नहीं समझ पाएंगे, लेकिन पैदल नापने वालों के लिए यह कार्य सच में अद्भुत है। इसी लिए तो कहा जाता है कि हर किसी के दर्द को गले लगाना पड़ता है, यूं ही कोई धन सिंह नहीं हो जाता।