कुर्सी का मोह यकीनन अदभुत होता है। एक बार जो इसमें बैठ गया उतरने का ख्याल भी मन को परेशान कर देता है। लेकिन क्या करें, मजबूरी है। प्रदेश में 110 नगर निकायों में से 97 में बोर्ड के कार्यकाल की उलटी गिनती शुरू हो गई हैं। यह सत्ता का सुख और सिर पर चमकता ताज अब थोडे दिनों का ही मेहमान है। उसके बाद निकायों के निजाम लग्जरी गाड़ी से उतरकर पैदल हो जाएंगे और तख्त प्रशासन के हवाले हो जाएगा।
नगर पालिका को नए निजाम के हवाले सौंपे जाने के लिए नई व्यवस्थाओं में क्या होगा, परीसीमन के परिणाम कौन सी परिस्थितियां पैदा करेंगी, कौन सी परिस्थितियांे में कौन सी रणनीति प्रभावी होगी, इन सब सवालों पर पालिका राजनीति के जानकार और राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं रखने वाले जमकर अपनी ज्यादा उर्जा खपा रहे हैं।
कुर्सी में बैठे हर किसी के पास मैदान से हट जाने या पिछड़ जाने चिंता की अपनी वजह है और हर किसी के पास खुश होने की भी वजह है। कहीं जनता के असंतोष का डर है तो कहीं आरक्षण के रोस्टर का।
लेकिन सच है कि बदलते वक्त से बैर भी तो नहीं कर सकते। बदले हालातों में कौन सामने उभर कर आएगा, कह नहीं सकते। कह नहीं सकते कि आने वाले दिनों में किसकी किस्मत चमकने वाली है।
बता दें कि प्रदेश में वर्ष 2018 में निकाय चुनाव हुए थे। तब 20 अक्टूबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई थी। 18 नवंबर को मतदान के बाद 20 नवंबर को परिणाम घोषित किए गए थे। निकायों का शपथ ग्रहण और पहली बैठक 2 दिसंबर को हुई थी। पहली बैठक से ही निकाय का 5 साल का कार्यकाल शुरू होता है।
बहरहाल चुनाव आयोग अपनी तैयारी में जुटा है। बताया जा रहा है कि लोक सभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव हो सकते हैं। आगामी चुनाव को लेकर नए लोगों को सत्ता में बैठने का उत्साह है तो सत्तानशीं के मन में मदमस्त खुमारी उतरने टीस साफ दिख रही है।