मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को हरियाणा के सूरजकुंड में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित राज्यों के गृह मंत्रियों के चिंतन शिविर में प्रतिभाग किया।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य कठिन एवं दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों से युक्त राज्य है, जिसकी अन्तर्राष्ट्रीय सीमाएँ उत्तर में तिब्बत चीन एवं पूर्व में नेपाल के साथ जुड़ी हुई हैं। इस प्रकार राष्ट्रीय सुरक्षा में राज्य का सामरिक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है।
उन्होंने कहा कि हमारे राज्य द्वारा कानून व्यवस्था के सुचारू रूप से संचालन हेतु संविधान के अनुच्छेद 44 जो कि समान नागरिक संहिता लागू किये जाने से सम्बन्धित है, की भावना का सम्मान करते हुये राज्य में समान नागरिक संहिता लागू किये जाने हेतु गठित विशेषज्ञ समिति वर्तमान में एक विस्तृत रिपोर्ट बनाने का कार्य कर रही है। विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट आने के उपरान्त राज्य में समान नागरिक संहिता लागू होने से राज्य में सभी धर्मों व सम्प्रदायों के निवासी लाभान्वित होंगे। तथा सभी धर्मों को मानने वाली महिलाओं की स्थिति में गुणात्मक सुधार होगा ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य के समक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों से राज्य के नागरिकों द्वारा किया जाने वाला पलायन अत्यन्त चुनौतीपूर्ण रहा है, जिसे रोकने हेतु विगत 5 व 6 वर्षों में प्रभावित क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसी क्रम में जनपद पिथौरागढ़, उत्तरकाशी एवं चमोली में 13 सड़कों का लगभग 600 कि०मी० निर्माण कार्य गतिमान है, जिसमें से 04 सड़कों का लगभग 150 कि०मी० निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जनपद पिथौरागढ़ में नेपाल सीमा से लगे छारछुम नामक स्थान पर मैंने हाल ही में एक पुल का शिलान्यास किया, जिसके पूर्ण होने पर सामारिक रूप से महत्वपूर्ण इस सीमान्त क्षेत्र के नागरिकों का आवागमन सहज एवं सुगम हो सकेगा। हाल ही में बद्रीनाथ में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में गांवों की महत्ता को रेखांकित करते हुये सीमान्त गांव माणा को देश के अंतिम गांव की जगह प्रथम गांव की संज्ञा दी है। जिसके लिये प्रधानमंत्री जी ने भी अपनी संस्तुति दी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमान्त गांव देश के प्रथम प्रहरी है और इनका समुचित विकास करना हमारा कर्तव्य है। राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा बनाये रखने हेतु राज्य सरकार द्वारा इन क्षेत्रों से हो रहे स्थानीय निवासियों के पलायन को रोकने और उन्हें यहीं पर चिकित्सा स्वास्थ्य, पेयजल, शिक्षा एवं रोजगार इत्यादि की सुविधा प्रदान किये जाने के प्रयास शीर्ष प्राथमिकता के आधार पर किये जा रहें है। प्रधानमंत्री जी द्वारा जगायी गयी अलख के क्रम में राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों के स्थानीय युवाओं को एन०सी०सी० से जोड़े जाने का अभियान गतिमान है। इसी प्रकार सीमाओं की सुरक्षा के दृष्टिगत राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों के 10 हजार सेवानिवृत्त सैनिकों, अर्द्धसैनिकों एवं युवाओं को सीमा सुरक्षा के सम्बन्ध में प्रशिक्षित कर उन्हें राज्य के सीमान्त जिलों में तैनात किये जाने हेतु हम “हिम प्रहरी” योजना पर काम कर रहे है, जिसमें 05 करोड़ रूपये प्रतिमाह का सहयोग केन्द्र सरकार से अपेक्षित है।