विकासभवन सभागार में उत्तराखंड पलायन आयोग के उपाध्यक्ष सरद सिंह नेगी की अध्यक्षता में ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की विभिन्न जनपदीय अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की गयी। आयोजित समीक्षा बैठक में कोविड-19 की अवधि तथा वर्तमान समय में कितने लोग स्वरोजगार से जुड़े सहित कितने लोगों ने कृषि तथा सहायक मदों में स्थाई रोजगार प्राप्त करते हुए रिवर्स पलायन किया व किन क्षेत्रों में अधिक ध्यान देने की जरूरत है, जिससे उन क्षेत्रों में पलायन रोका जा सकेगा साथ ही रिवर्स पलायन को प्रोत्साहित किया जा सके सहित अन्य महत्वणूर्ण बिदुंओं पर चर्चा की गयी।
आयोजित बैठक में संबंधित अधिकारी ने बताया कि कोविड काल की अवधि तथा वर्तमान समय मेें लोगों का रूझान नगदी फसल, मंडवा की खेती, कृषि बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, मोहन पालन, सब्जी उत्पादन आदि आय सृजक गतिविधियों की ओर लोगों का रूझान बढ़ा है। साथ ही व्यापक पैमाने पर स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से आय सृजक गतिविधियां फलीभूत हुई हैं। महिलाओं ने एनआरएलएम के माध्यम से अपनी आर्थिकी को मजबूत की है। बैठक में एनआरएलएम के अंतर्गत एसएचजी एवं सीएलएफ की उमंग कलस्टर की पार्वती देवी द्वारा बताया गया कि समूह द्वारा मंडुवा, झंगोरा से विभिन्न प्रकार के उत्पाद मंडुवा, झंगोरा बिस्कीट, लड्डू तैयार कर समूह में 12 महिलाओं को रोजगार प्राप्त हो रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि समूहों को प्रतिदिन 05 से 07 हजार रूपये की आय हो रही है। इसके अलावा साधना सीएलएफ की सदस्य सीमा देवी द्वारा जानकारी दी गयी कि ल्वाली न्याय पंचायत 18 से 20 गांवों में गाय का दुध एकत्रित कर जनपद में दुध, दही, घी, पनीर, मठ्ठा सहित अन्य पदार्थ तैयार किये जा रहे हैं, जिसमें 237 महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। उन्होंने बताया कि कोविड काल में 50 से 60 लोगों द्वारा रिवर्स पलायन करते हुए डेयरी व्यवसाय से जुड़कर रोजगार प्राप्त किया जा रहा है। इस दौरान परियोजना निदेशक डीआरडीए संजीव कुमार रॉय द्वारा अवगत कराया गया कि स्वयं सहायता समूहों को एनआरएलएम एवं हिमोत्थान के तत्वाधान में वित्तीय सहयोग कर ग्रीन एनर्जी को प्रोत्साहित किया जा रहा है। बैठक में सामने आया कि जनपद पौड़ी में बड़े पैमाने पर कृषि, उद्यान में फेंसिंग व पॉलिहाउस के लिए सरकार की ओर से बड़ी मात्रा में धनराशि खर्च की जा रही है। बैठक में निर्णय लिया गया कि कृषि, बागवानी में फेंसिंग व पॉलीहाउस मंजूर करते समय संबंधित काश्तकारों से पूर्व में लिखित में लिया जाए यदि योजना का लाभ लेने के पश्चात वहां पर लगातार खेती नहीं की जाती तो संबंधित फेंसिंग व पॉलीहाउस के खर्च की उस काश्तकार से वसूली की जाएगी ताकि वास्तविक काश्तकारों को योजना का लाभ मिल सके।
पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एस0एस नेगी ने सभी विभागीय अधिकारियो को निर्देशित किया कि सभी विभाग अपनी योजनाओं वास्तविक धरातल और व्यवहारिक आवश्यकता के अनुरूप बनायें। कहा कि जिसको योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है वह वास्तव में खेती-कास्तकारी करता भी है कि नहीं। साथ ही कार्यों में गुणवत्ता बरतें जिससे लोगों की आजीविका में सुधार हो तथा पलायन रोकने में भी मददगार हो सकेंगे। उन्होंने सभी विभागों को विभागीय स्तर पर तथा अपनी समन्वय से कार्य संपादन करने के निर्देश दिये ताकि बेहतर परिणाम हांसिल हो सके।
इस अवसर पर सदस्य पलायन आयोग सुरेश चंद्र सुयाल, अपर आयुक्त/सदस्य सचिव पलायन आयोग रोशन लाल, परियोजना निदेशक डीआरडीए संजीव रॉय, जिला विकास अधिकारी पुष्पेंद्र चौहान, डीपीआरओ जितेंद्र कुमार, शोध अधिकारी गजपाल चंद, अधिशासी अभियंता एसके रॉय, एलडीएम अनिल कटारिया, अर्थ एवं संख्याधिकारी राम सलोने सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।