देहरादून। हिमालय विरासत न्यास, उत्तराखंड द्वारा शहीद दिवस के अवसर पर आज एक महिला कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। महिला कवयित्रियों ने अपनी देशभक्ति कविताओं से खूब शमा बाँधा और दर्शकों की तालियां बटोरी।
डालनवाला स्थित ‘रचना संसार’ सभागार में साहित्य संस्कृति एवं कला के लिए समर्पित संस्था ‘हिमालय विरासत न्यास’ द्वारा शहीदों की स्मृति में एक महिला कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमे कवयित्रियों द्वारा स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों, सैनिकों की शहादत, सीमा पर तैनात बीर जवानों, तीलू रौतेली और गौरा देवी आदि पर गढ़वाली में कविताएं प्रस्तुत की गई।
कवियत्री बिना कंडारी ने अपनी कविता में सीमा पर तैनात वीर जवानों को संबोधित कविता में कहा- ‘हे मातृभूमि का पैरोंकारो! तुम्हारी ज्वांन आंख्यों मा, नींद का बजाय देश रक्षा का स्वीणा।’
कवयित्री प्रेमलता सजवान ने शहीदों को समर्पित कविता में कहा- ‘नमन तुमथे हे कर्मवीरों, तुम हीद हुईकी अमर हुई गयां।’
कवयित्री विनीता मैठानी ने सैनिकों की के जज्बे को सलाम करते हुए कहा- ‘तु हिट त सै बाटु स्वरण खुणि
कवयित्री बीना बेंजवाल वीर नारियों पर अपनी कविता सुनाते हुए कहा –
‘उठण्यूं का ताला खुलणी च वा , आस्यूं का जाला टटोलणी च वा।’
कवयित्री पूजा ध्यानी अमोली ने अपनी कविता में में शहीदों को श्रधान्जली देते हुये कहा -‘ एक ड्यू तों का नौ, जौन अपणि जान ख्वेकि देश की माटि का वाना प्राण देनि।’
कवयित्री शान्ति विन्जोला ने अपनी कविता में तीलू रौतेली के प्राक्रम का बखाना किया।
कवि सम्मेलन से पूर्व हिमालय विरासत न्यास की अध्यक्ष आशना नेगी ने सभी उपस्थित कवयित्रियों का शाल ओढ़ा कर सम्मान किया और कहा कि शहीदों को कविता के माध्यम से श्रद्धांजलि देने का यह एक सार्थक प्रयास है।
कवि सम्मेलन का संचालन श्रीमती शांति बिंन्जोला ने किया। कार्यक्रम में अंजू जोशी, कांता घिल्डयाल, भारतीय आनंद, पूनम राणा, शोभा रतूडी, पूजा ध्यानी, गीता भंडारी, मधुसूदन उपाध्याय, कुलदीप कंडारी सहित अनेक लोग उपस्थित थे।
