*- प्रदेश में अटल आयुष्मान योजना यानी रूग्णता को परास्त कर फिर से स्वस्थ व दीर्घायु जीवन पाने का भरोसा।*
*- योजना के तहत लाभार्थियों के मुफ्त उपचार पर राज्य सरकार अब तक कर चुकी है ₹390 करोड़ से अधिक खर्च।*
*- इलाज कराने में अस्पताल के खर्चों के तनाव से जनमानस को मिली मुक्ति।*
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देहरादूनः यह बात सच है कि अस्पताल के खर्चों से बचने के लिए ज्यादातर लोग अपने शरीर की ब्याधियों की अनदेखी कर देते हैं। कारण यह रहा कि अस्पताल के खर्च से घर का बजट बिगड़ना स्वाभाविक सा है। और खर्चे की डर से जानबूझ कर की गई इस अनदेखी के परिणाम बाद में घातक होते रहे हैं। कुछ घातक बीमारियां हैं जिनके खर्चे को देखते हुए भी आम जन उसकी अनदेखी में ही समझदारी मानता रहा है। लेकिन जब से प्रदेश में अटल आयुष्मान योजना का शुभारंभ के साथ ही बेहतर संचालन हुआ तब से वह जानलेवा अनदेखी भी बीते जमाने की सी बात होने लगी है। बीमारी के उपचार के लिए अब मरीज बगैर किसी तनाव के अस्पताल जाकर अपना उपचार रहे हैं। और इलाज कर फिर स्वस्थ्य जीवन जी रहे हैं। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अन्तर्गत संचालित हो रही आयुष्मान योजना से प्रदेश में अब तक 3.11 लाख से अधिक लाभार्थी मुफ्त उपचार ले चुके हैं।
बदलती स्थितियों में मानव शरीर में रोगों का हो जाना सामान्य सी बात है। लेकिन यदि किसी मरीज को समय से यथोचित उपचार मिल जाए तो सामान्य हालातों को फिर से लौटाया जा सकता है। लेकिन पूर्व में रोगों के उपचार में अस्पतालों के बड़े खर्चे के कारण ज्यादातर लोग चाहते हुए भी इलाज के लिए अस्पताल नहीं आ पाते थे। उन्हें चिंता इस बात की रहती थी कि चिकित्सकीय परामर्श से लेकर जांच व दवा के साथ अन्य इंतजामों पर जो खर्चा आएगा वह उसे किसी भी सूरत में वहन नहीं कर सकता। महंगे इलाज के कारण मरीज अस्पताल आने से भी कतराते रहे हैं। चिंता यह रहती थी कि जिस पैसे से घर की आजीविका चलती है, या जो बच्चों के कैरियर व शादी विवाह के लिए पाई पाई जोड़ी है, उसे इलाज में कैसे खर्च कर दें। परिवार को कर्ज के बोझ तले दबाना भी भला कौन चाहेगा। सामान्य आयवर्ग के लिए तो इलाज मानो असंभव सा था।
ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे जहां खर्चे के कारण बीमारी जानलेवा हुई है। लेकिन प्रदेश में जब से अटल आयुष्मान योजना शुरू हुई है। लाखों मरीजों को फिर से स्वस्थ जीवन मिला है, और वह भी बगैर किसी आर्थिक बोझ के। प्रदेश में आयुष्मान योजना के तहत मरीज 3.11 लाख बार इस योजना का लाभ उठाकर फिर से स्वस्थ जीवन जीने लगे हैं। जिस पर ₹ 390 करोड़ से अधिक खर्च हुए हैं।
सोचने वाली बात यह है कि अगर प्रदेश में आयुष्मान योजना का बेहतर संचालन नहीं होता तो क्या यह लाखों मरीज फिर से स्वस्थ जीवन की ओर लौट पाते, क्या उनकी घर की स्थितियां पहले जैसी बेहतर रह पाती, शायद नहीं। आयुष्मान के कारण मिले जीवनदान के लिए अब हर कोई प्रदेश सरकार का शुक्रिया भी कहता है।