देहरादूनः हाल के वर्षों में पार्टी में आए एक बड़े खालीपन के साथ ही फं्रट लाइन नेताओं में मचे घमासान के बीच प्रदेश कांग्रेस के मुखिया के पद तक पहुंचे गणेश गोदियाल आखिर घस्यारियांे का अपमान क्यों कर रहे हैं। इस तरह के कृत्य के अधिकार उन्हें किसने दिया। यह सवाल श्रीनगर विधान सभा से उठकर पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय है। लोगों का कहना है कि यहां हर परिवार की मां बहनें खेतीबाड़ी से जुड़ी हैं। यह कार्य बहुत मुनाफे वाला भले ही ना हो लेकिन यह खेत खलियान हमारी संस्कृति और संस्कारों के साथ ही हमारी जड़ों का अहसास करती हैं। ऐसे मंे इस तरह के अपमान पर सवाल स्वाभाविक हैं।
बता दें कि प्रदेश कांग्रेस के मुखिया इन दिनों सहकारिता विभाग द्वारा संचालित मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना के विरोध स्वरूप जगह-जगह दीवारों पर स्लोगन पुतवा रहे है।
जिसमें लिखे गए श्लोगन हमारे ग्रामीण समाज की मातृशक्ति को अपमानित करने जैसा हैं। यानी हमारे घर गांव में हर परिवार मंे पालूत पशुओं के घास काटा जाता है। खेतीबाड़ी से भी यह कार्य जुड़ा हुआ है। स्वावंलबन की यह व्यवस्था हमारे पुरखों से चली आ रही है। और आज भी उसे कोई नकार नहीं सकता। लेकिन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल जिस तरह से अपने क्षेत्र में घसियारियों को तुच्छ ठहराने वाले श्लोगन दीवारों को पर पुतवा रहे हैं, उस कृत्य की सर्वथा निंदा होना स्वाभाविक है।
स्वयं कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय तो उनकी बात सिरे से खारिज कर चुके हैं। वह कहते हैं कि मैंने भी घास काटा है लोग मुझे घस्यारा कहते हैं तो इसमें बुरा मानने वाली बात क्या है। पुरखों से पहाड़ों में यह व्यवस्था चली आ रही है।
गत दिवस सहकारिता मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के गांव में घसियारी किट वितरित करने पहुंचे। जहां बड़ी संख्या में महिलाएं किट लेने पहुंची। गांव में शत प्रतिशत लोगों ने घसियारी किट के लिए आवेदन किया है। सहकारिता मंत्री ने बताया कि क्षेत्र में 24000 महिलाओं तक कि यह किट वितरित करना उनका लक्ष्य है। एक माह के अंदर ही हर घर में किट पहुंच जाएगी
स्वयं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के गांव बहेड़ी में भी ग्रामीणों ने घसियारी किट के विरोध पर हैरानी जताई और इसे अपना अपमान बताया। ग्रामीणों का कहना है कि यह योजना गांव के आखिरी व्यक्ति के हितों से जुड़ी हुई है, लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के सिपहसलारों की बुद्धि पर जरूर तरस आनी चाहिए जो उन्हें सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए गांव की घसियारियों का तक अपमान करने की सलाह दे रहे हैं।
जरा भी जमीर यदि कांग्रेस मुखिया का बचा है तो उन्हें अपनी इस हरकत पर शर्मिंदगी जताते हुए पहाड़ी की मातृशक्ति से माफी मांगी चाहिए।