‘एक्जामिनी इज बेटर दैन द एक्जामिनर’.!
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हाईस्कूल में 500 में से 500 नंबर यानि 100 प्रतिशत अंक,
पिथौरागढ़ के बच्चों ने तो कमाल कर दिया। कमाल क्या इतिहास बना दिया। सीमांत जिला होने के बावजूद इस जिले के 21 बच्चों ने हाईस्कूल की ‘टॉप 25’ लिस्ट में अपना स्थान बनाया है। इतना ही नहीं इसी जिले के 12 बच्चे इण्टरमीडिट की ‘टॉप 25’ लिस्ट में भी शामिल हैं। सबसे बड़ी बात कि हाईस्कूल की स्टेट टॉपर प्रियांशी रावत भी पिथौरागढ़ जिले के तहसील बेरीनाग में स्थित साधना पब्लिक स्कूल की छात्रा है। प्रियांशी ने 500 में से 500 यानि 100 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। उसकी यह अद्भुत सफलता उत्तराखण्ड राज्य के इतिहास में स्थर्णित अक्षरों में दर्ज हो गई है।
मंगलवार का दिन पिथौरागढ़ के लिए मंगलकारी रहा। दुर्गम श्रेणी के इस जिले के बच्चों ने उत्तराखण्ड बोर्ड परीक्षा में सफलता के झण्डे गाड़ दिए। उत्तराखण्ड माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से जारी ‘टॉप 25’ सूची में (हाईस्कूल और इण्टरमीडिएट दोनो में) पिथौरागढ़ के सुदूर गांवों के बच्चों के एक के बाद एक नाम देखकर सभी लोग अचंभित हो गए। शिक्षा का हब कहे जाने वाले देहरादून और नैनीताल समेत तमाम सुगम जिलों को बुरी तरह पछाड़कर किसी सीमांत जिले के बच्चों ने पहली बार इतना शानदार प्रदर्शन किया है। बेरीनाग की हाईस्कूल की छात्रा प्रियांशी ने तो कोई ऐसा विषय नहीं छोड़ा जिसमें 100 में से 100 अंक हासिल न किए हों।
प्रियांशी रावत साधारण परिवार से है। उसके पिता राजेश रावत 21 कुमाऊं रेजिमेंट से 3 साल पहले नायक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। माता रजनी रावत प्रियांशी की स्कूल ‘साधना पब्लिक स्कूल’ बेरीनाग में शिक्षिका हैं। उसका छोटा भाई वैभव रावत भी इसी स्कूल में आठवीं का छात्र है। प्रियांशी अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और गुरुजनों को देती है। पिता राजेश रावत का कहना है कि प्रियांशी प्रतिदिन 4 घण्टे पढ़ाई करती थी, लेकिन जितनी देर पढ़ती थी एकाग्रता से पढ़ती थी। उनके मुताबिक प्रियांशी एनडीए क्लीयर करके एयर फोर्स में जाना चाहती है।
प्रियांशी समेत ‘टॉप 25’ लिस्ट में शामिल पिथौरागढ़ के सभी बच्चों ने साबित कर दिया है कि प्रतिभा संसाधनों और सुविधाओं की मोहताज नहीं होती। इरादे पक्के हों, सोच सकारात्मक हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं। प्रियांशी के उत्कृष्ट प्रदर्शन ने तो भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद जी की याद दिला दी। कॉपी चौक कर रहे परीक्षक कई बार बारीकी से देखने के बाद भी जब राजेन्द्र प्रसाद की एक भी गलती नहीं ढूंढ पाए तो उन्होंने कॉपी में टिप्पणी की थी कि ‘एक्जामिनी इज बेटर दैन द एक्जामिनर’!
साभार: वरिष्ट पत्रकार दीपक फर्स्वाण जी की कलम से