, टूटेगी तो सरकारी व निजी स्कूलों के बीच की दीवार
अब गरीब के बच्चे को अच्छी शिक्षा मिल सकेगी। बात सुनने और पढ़ने में जरा अटपटी जरूर लगेगी लेकिन यह सच है कि नई व्यवस्थाओं में प्रदेश के सरकारी और निजी स्कूलों के बीच का अंतर समाप्त होने वाला है। सरकारी शिक्षा की बेहतरी के लिए प्रयासरत प्रदेश के शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत की सोच तो कुछ ऐसी व्यवस्थाएं दे रही है जिसमें बेसिक व जूनियर स्तर के 148 स्कूलों को निजी स्कूलों की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। वहां हर वह इंतजाम होंगे जो निजी स्कूलों में होते हैं।
यूं तो आज के समय में सरकारी स्कूलों की बदहाली जगजाहिर है। कटु सत्य है कि सरकारी स्कूलांे में आज उन्हीं के बच्चे पढ़ते हैं जिनकी आर्थिक स्थिति या तो अनुकूल नहीं है या जिनके पास विकल्प नहीं है। टीचरों की सेलरी पर प्रदेश की जीडीपी का एक अच्छा खासा हिस्सा खर्च होने के बाद भी आमजन की नजर में यह व्यवस्था चौपट ही है। कहीं स्कूल में बच्चे हैं तो वहां टीचर नहीं हैं, जहां टीचर हैं भी वहां तक भी पठन पाठन खानापूर्ति हो रखा है।
अपवाद को छोड़कर सभी सरकारी टीचरों के अपने बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं या पढ़ते रहे हैं, तो दूसरों के बच्चों के प्रति उनसे किसी तरह के भावनात्मक जुड़ाव की उम्मीद करना का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। अन्य इंतजामों की तो बात ही क्या करनी।
जबकि निजी स्कूलों में ऐसा नहीं है। वहां टीचर पर भी लगाम होती है तो अन्य सभी व्यवस्था देने वालों पर भी। तभी तो प्रदेश में शिक्षा का उजियारा फैलाने वाला सरकारी शिक्षक वर्ग भी अपने बच्चों के मामले में सरकारी स्कूल का रिस्क नहीं लेता है। उन्हें पता है कि जिस सिस्टम में वो हैं वहां उजियारा सिर्फ नाम का है।
निसंदेह ही प्रदेश के शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत अपनी प्रोएक्टिवनेस के लिए तो जाने ही जाते हैं। व्यवस्था सुधार की दिशा में भी उनकी सक्रियता व रिकार्ड अन्य से कहीं बढ़कर है। जाहिर तौर पर उन्हें उन गरीब बच्चों की भी चिंता है जो वक्त के मारे हैं। उन्हीं की चिंता का प्रतिफल है कि अब प्रदेश की सरकारी शिक्षा में वह होने जा रहा है जो पहले कभी नहीं हुआ।
प्राइवेट स्कूलों से मुकाबले के लिए राज्य में बेसिक और जूनियर स्तर पर 148 स्कूल उत्कृष्ट विद्यालय के रूप में विकसित किए जाएंगे। यहां टीचरों से लेकर अन्य व्यवस्थाएं तो चकाचक होंगी ही दूर के छात्र छात्राओं को स्कूल ले जाने और छोड़ने की व्यवस्था भी होगी।
प्रदेश भर में विभिन्न क्षेत्रों में पांच किलोमीटर के दायरे में स्थित पांच या पांच से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों में इन्हें चुना गया है। कम छात्र संख्या वाले स्कूलों का परस्पर विलय करते हुए इन 148 स्कूलों को शिक्षक, कर्मचारी और शिक्षा के लिए जरूरी संसाधनों के लिहाज से मॉडल स्कूल के रूप में विकसित किया जाना है।
शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत के मुताबिक इस व्यवस्था में पहले चरण का कार्य पूरा हो चुका है। और दूसरे चरण के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। पहली से पांचवीं कक्षा तक के 121 तथा छठवीं से आठवीं तक के 27 स्कूलों को उत्कृष्ट स्कूल के रूप में चिह्नित किया गया है। इन स्कूलों के बनने से आसपास के 235 स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को लाभ मिलेगा।
प्रयोजन को पूर्णता मिले और नई पीढ़ी के सपनों को पंख, इन्हीं उम्मीदों के साथ शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत का आम जनमानस के साथ ही उस कमजोर तबके की ओर से साधुवाद जो लचर व्यवस्थाओं के कारण सदा हासिए पर रहता आया है।