गत दिनों उत्तराखंड में संपंन स्वास्थ्य चिंतन शिविर में फोकस भले ही सिर्फ एक राज्य पर नहीं अपितु पूरे राष्ट्रीय फलक पर रहा। लेकिन जन स्वास्थ्य के इंतजामों के लिए प्रदेश का देश के अग्रणी दस राज्यों में सुमार होना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। जाहिर तौर पर मौजूदा व्यवस्थाओं में पहाड़ की विकटताओं का मुकाबला करते हुए जन स्वास्थ्य की बेहतरी की दिशा में अपेक्षित प्रयास हुए हैं। और संभवतः इसी का नतीजा रहा कि दुर्गमताओं का सामना करने वाले उत्तराखंड को राष्ट्र स्तर के सम्मेलन की जिम्मेदारी मिली।
यह बात प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डा धन सिंह रावत ने भी कही कि अखिल भारतीय स्तर का कार्यक्रम की मेजबानी उत्तराखंड के लिए गौरव की बात रही। यह निश्चित तौर पर भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित होगा। राज्य सरकार और भारत सरकार समन्वय बनाकर, प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार की कड़ी में निरंतर अग्रसर हैं।
शिविर में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा मनसुख मांडविया ने कहा किसी दूसरे देश के मॉडल पर भरोसा नहीं किया जा सकता है क्योंकि भौगोलिक और पर्यावरण के स्तर पर भारत और दुनिया के बाकी देशों के बीच काफी अंतर है। और यह अंतर जटिलताओं का विषमताओं का है।
शिविर में मंथन से निकले अमृतरस पर उन्होंने कहा कि यह देश के स्वास्थ्य लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करेगा।
शिविर में कुष्ठ, टीबी, सिकल सेल एनीमिया जैसी बीमारियों का बोझ हटाने और राज्यों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का संकल्प का पुरजोर आह्वान हुआ।
पहाड़ी राज्यों की सबसे बड़ी समस्या विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी की है। उस दूर करने का केंद्र ने भरोसा दिया है। इसके लिए तकरीबन तीन साल क लक्ष्य रखा गया है। मेडिकल कॉलेजों की स्थापना और पुराने कॉलेजों के विस्तार पर जोर, आगामी तीन वर्षों में मेडिकल की यूजी और पीजी सीटों की संख्यात्मक विषमता भी खत्म की जाएगी।
चिंतन शिविर में आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन, आयुष्मान भव कैंपेन, पब्लिक हेल्थ मैनेजमेंट कैडर, टीबी उन्मूलन कार्यक्रम, मीसल्स रूबेला उन्मूलन कार्यक्रम, पीसीपीएनडीटी, मेडिकल नर्सिंग शिक्षा, अंग प्रत्यारोपण, डिस्ट्रिक्ट रेजीडेंसी प्रोग्राम व गैर संचारी रोग प्रबंधन जैसे अहम विषय भी चर्चा के केंद्र में रहे।
देवताओं की इस धरती पर निर्णय हुआ कि देश के सभी राज्यों में हेल्थ एवं वेलनेस सेंटरों में आयुष्मान मेले लगाए जाएंगे। ताकि हर किसी को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिल सके।
सभी राज्यों के लिए वर्ष 2040 तक का हेल्थ विजन तैयार करने के भी निर्देश हुए। ताकि देश की आजादी के शताब्दी वर्ष 2047 तक स्वस्थ और समृद्ध राष्ट्र बनाने का लक्ष्य हासिल हो सके। उम्मीदों को तब अधिक बल मिल रहा जब लक्ष्य हासिल करने को लेकर किसी तरह कमजोर प्रयासों के लिए कोई गुंजाइश तक से परहेज रखा गया है।
उन्होंने कहा कि सभी राज्यों को इस चिंतन बैठक का संज्ञान लेकर अपने राज्य में भी चिंतन बैठक करने को कहा गया है। राज्यों की प्राथमिकताएं अलग-अलग होती हैं। इसे ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य सेवा को सुदृढ़ करने के लिए व्यवस्था सुनिश्चित करें।
इसके अलावा पीसीपीएनडीटी एक्ट में संशोधन, अंगदान कि प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए नोटो (नेशनल आर्गन एंड टिश्यू प्लांट आर्गनाइजेशन) और सोटो (स्टेट आर्गन एंड टिश्यू प्लांट आर्गनाइजेशन) की जटिलताओं के सरलीकरण का भी भरोसा इस शिविर में मिला।
अंगदान की प्रक्रिया को सरल करने के लिए नोटो व सोटो में होगा बदलाव
पीएचसी व सीएचसी में हर सप्ताह लगेगा आयुष्मान कैंप
लिंगानुपात में गैप करने के लिए पीसीपीएनडीटी एक्ट में होगा संशोधन
सभी राज्य अपनाएंगे एक दूसरे राज्य की बेस्ट प्रैक्टिस
चिकित्सकों की कमी दूर करने को बनेगा नेशनल रजिस्टर