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ग्राम प्रधानों को दी आपदा प्रबंधन की जानकारी

पौड़ीः जनपद में पंचायती राज संस्थाआें के प्रतिनिधियों की आपदा प्रबन्धन में भूमिका संबंधी 05 दिवसीय कार्यशाला का आज विकास भवन सभागार पौड़ी में जिलाधिकारी गढ़वाल डॉ. विजय कुमार जोगदण्डे की अध्यक्षता में शुभारम्भ हुआ। कार्याशाला आपदा प्रबन्धन प्रकोष्ठ उत्तराखण्ड प्रशासन अकादमी नैनीताल के तत्वाधान में आयोजित की जा रही है। कार्यशाला में डॉ. ओम प्रकाश विशेषज्ञ आपदा प्रबन्धन प्रकोष्ठ उत्तराखण्ड प्रशासन अकादमी नैनीताल द्वारा समस्त ग्राम प्रधानों को आपदा प्रबन्धन की जानकारी दी जा रही है।
जिलाधिकारी डॉ. जोगदण्डे ने मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग करते हुए सभी ग्राम प्रधानों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि आपदा प्रबन्धन की दृष्टि से ग्राम पंचायत एक महत्वपूर्ण केन्द्र बिन्दु होता है। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि ग्राम पंचायत स्तर पर समितियां गठित होती हैं, जिनके मुखिया/अध्यक्ष ग्राम प्रधान होते है और अध्यक्ष होने के नाते उनकी काफी जिम्मेदारियां होती है। कहा कि कार्यशाला में आपदा के समय आने वाली समस्याओं पर चर्चा कर सुझाव आदि भी उपलब्ध करायें ताकि आपके सुझाव शासन के सम्मुख रखे जा सकें और इससे आपदा प्रबन्धन को बल मिल सके। कहा कि आपदा से पूर्व संबंधित उपकरणों, राहत सामाग्री आदि का वार्षिक सत्यापन किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि एक पंजिका बना लें, जिसमें आपदा प्रबन्धन के सभी उपलब्ध उपकरण, राहत सामाग्री, युवक मंगल दल, महिला मंगल दल, वॉलटियर के नाम, स्थायी/अस्थायी हेलीपैड, आपदा के समय अस्थायी राहत शिविर आदि की सूची बनाकर रख सकते हैं, ताकि आपदा के समय आपदा प्रबन्धन में समस्या न हो और आपदा को न्यून किया जा सके। उन्होंने कहा कि एक केन्द्र बिन्दु के रूप में कार्य करने हेतु ग्राम पंचायतों को आत्मनिर्भर होना चाहिए। इसके साथ ही ग्राम पंचायत स्तर पर क्लोरिन की दवा, ब्लीचिंग पाउडर, बरनोल, पट्टी, कोटन, बीटाडीन आदि आवश्यक सामाग्री प्राथमिक उपचार हेतु रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि भवन निर्माण करते समय कुछ मानकों का प्रयोग कर आपदा को कम किया जा सकता है।
जिलाधिकारी ने जिला पंचायत राज अधिकारी को निर्देशित किया कि स्थायी एवं अस्थायी हेलीपैड की सूची भी संबंधित ग्राम पंचायतों को उपलब्ध करा दें, ताकि वे अपनी पंजिका में इनका भी अंकन कर लें। जिलाधिकारी ने कहा कि धन की कमी होती है तो प्रस्ताव बनाकर भेज सकते हैं। कहा कि आपदा के समय प्रभावितों का विवरण प्राथमिकता के आधार पर करें। कहा कि ग्राम पंचायतों के कार्यों दायरा धीरे-धीरे बढ़ सकता है। आपदा में विस्थापित निर्माण कार्य हेतु ग्राम पंचायतों को विशेष इकाई के रूप में आगे आना होगा, इससे कार्य प्रगति को लेकर आने वाली समस्या दूर हो जायेगी और कार्यों की गुणवत्ता को लेकर भी शिकायतें नहीं आयेंगी।
मुख्य विकास अधिकारी प्रशान्त कुमार आर्य ने कहा कि प्रधानगण बेसिक कड़ी होते हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में ग्राम पंचायतों द्वारा किया गया कार्य सराहनीय है। कहा कि कार्यशाला में वाद-संवाद जारी रखते हुए कमियों को बतायें जिससे कार्यशाला को सफल बनाया जा सके। ब्लॉक प्रमुख पौड़ी दीपक खुकशाल ने कहा कि जनपद पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहां पर आपदा का स्वरूप भी बड़ा हो जाता है, जिसके कारण दिक्कतों का सामना ज्यादा करना पड़ता है। कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का जो दोहन किया गया है, उसकी भरपाई करनी है। कहा कि कोरोना काल में सभी ग्राम प्रधानों द्वारा बहुत अच्छा काम किया गया, जो कि सराहनीय है और आगे भी इसी प्रकार से सहयोग की अपेक्षा सभी से रहेगी।
जिला पंचायत राज अधिकारी एम.एम. खान ने ग्राम पंचायत स्तर पर गठित समितियों, ग्राम पंचायतों की दी जाने वाली धनराशि आदि की जानकारी दी गई। उन्होंने ग्राम पचायत केवर्स का उदाहरण देते हुये कहा कि केवर्स के द्वारा अपने ग्राम के प्रत्येक व्यक्ति, पशु आदि का डाटा सुरक्षित रखा गया है, इसी तरह से सभी लोग रख सकते है। कहा कि 15वें वित्त आयोग का टाइड फण्ड जल्द ही उपलब्ध करा दिया जायेगा।
इस अवसर पर विकासखण्ड पौड़ी, खिर्सू, कल्जीखाल पाबौ तथा कोट के प्रधानगण जयवीर रावत, गीता देवी, उर्मिला देवी, प्रमोद रावत, मनीषा बहुगुणा सहित अन्य प्रधानगण मौजूद रहे।

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