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“सवाड” गांव के इतिहास से जुड़ा “नड्डा” का नाम …

“सवाड” गांव के इतिहास से जुड़ा “नड्डा” का नाम …
उत्तराखंड के सीमांत जनपद चमोली के “सवाड” गांव के बारे में कौन नहीं जानता। ये कोई मामूली गांव नहीं बल्कि वीरों सपूतों की जन्मस्थली है। यहां के वीर सैनिकों ने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर प्रथम विश्व युद्ध, द्वितीय विश्वयुद्ध, पेशावर कांड ऑपरेशन ब्लू स्टार, बांग्लादेश युद्ध आदि सभी ऐतिहासिक युद्धों में भाग लेकर देश का मान बढ़ाया है। शायद ही इससे ज्यादा गौरवशाली इतिहास किसी और गांव का हो। वीरों की इस भूमि से प्रथम विश्वयुद्ध में 22, द्वितीय विश्व युद्ध मे 38, पेशावर कांड में 14, सैनिकों ने भाग लिया। इसके साथ ही 18 जवानों ने स्वतंत्रता संग्राम के लिए आजाद हिंद फौज की राह चुनी। वर्तमान में भी 121 वीर भारतीय सेना का अंग हैं। यहां के शहीदों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को वर्ष 2008 से हर वर्ष श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए 7 दिसम्बर को सशस्त्र झंडा दिवस के अवसर पर सवाड़ में शहीद मेले का आयोजन किया जाता है।
गौरवमय इतिहास से हटकर एक अन्य वजह से आज का दिन सवाड के लिए ऐतिहासिक रहा। जेपी नड्डा किसी राष्ट्रीय दल के पहले ऐसे अध्यक्ष हैं जिन्होंने सवाड गांव में पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जो कि स्वयं सैनिक पुत्र हैं, के साथ उन्होंने यहां से “शहीद सम्मान यात्रा” की शुरुआत की। इस मौके पर नड्डा ने कहा कि ”मैं आज ऐसी वीर भूमि पर आया हूं जहां के वीर सपूतों ने प्रत्येक संग्राम में अपने आप को समर्पित किया। मैं इन युद्धों में अपना सर्वोच्च न्यौछावर करने वाले शहीदों को नमन करता हूं। मुझे यह बताने में खुशी है कि मौजूदा समय में उत्तराखंड के लगभग 1,15,000 सैनिक हमारी भारतीय सेना में सेवारत हैं”।

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