श्रीनगर विधान सभाः धनदा के भ्रमण में जयकारों से गूंजी दिशाएं
इस बार के विधान सभा चुनाव में श्रीनगर विधान सभा को सबसे हॉट माना जा रहा था। वजह यह रही कि यहां से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और भाजपा सरकार के कैबिनेट मंत्री डा धन सिंह रावत चुनाव मैदान में थे। दोनों के बीच मुकाबला शानदार भी हुआ और कांटे का भी। लेकिन आखिर जनता का मत धनदा के ही पक्ष में गया। और पूरी श्रीनगर विधान सभा में 10 मार्च से ही होली शुरू हो गई। जीत के उत्साह में पूरा क्षेत्र गदगद है। उल्लास की हदों से भी बाहर जीत के जयकारों से दिशाएं गूंज रही हैं।
10 मार्च को जब चुनाव परिणाम आए तो कई जानकारों के विश्लेषण के केंद्र में तमाम मिथक टूटने का विषय रहा। लेकिन सूबे की महज दो दशक की यात्रा में किसी तरह के मिथक गांठ लेना एक हिसाब से जल्दबाजी है। इस बार साबित हो गया कि जो जनता के बीच अपनी मौजूदगी रखेगा वही सत्ता तक पहुंचेगा। वयसंधिकाल में ही रचे गए कथित मिथकों के मायने अब एक तरह से समाप्त हो गए।
श्रीनगर विधान सभा से डा धन सिंह रावत पहले भी विधायक हैं। यहां रिपीट की संभावना कम जताई जा रही थी। दून से लेकर बंूगीधार तक भाजपा प्रत्याशी के प्रति कुछ वाचाल लोगों में एक तरह का ईर्ष्या का सा भाव देखा गया। क्षेत्र में विकास के अद्वितीय कार्यो श्रीनगर का मैरिन ड्राइव, स्टेडियम, बिल माफी, रेलवे का उप चिकित्सालय, व्यावसायिक महाविद्यालय, हर विकास खंड में डिग्री कालेज, आधा दर्जन के करीब पंपिंग पेयजल योजनाएं, दर्जनों सड़कें, स्वरोजगार के लिए ब्याज रहित ऋण, घसियारी कल्याण, गाय, बकरी, मुर्गी, आटा चक्की वितरण, कोरोना काल में राशन दवा आदि का वितरण समेत तमाम अनगिनत कामों के बाद भी पूरे सूबे में उनकी पराजय का शोर गूंज रहा था। जिसने श्रीनगर विधान सभा को नजदीक तो छोड़ो दूर से भी नहीं देखा वह दून या अन्य शहरों में बैठ कर अपना दिमाग घुमा रहा था।
हालात यह थे कि राजनीति के इन कथित जानकारों को क्षेत्र का विकास नहीं दिख रहा था। लेकिन उसे तो दिख रहा था जिसे दिखना चाहिए था। आखिरकार 10 मार्च को नतीजे सामने आए और क्षेत्र की जनता की मुहर विकास कार्यों पर निकल कर सामने आई। और कुछ वाचाल और चालाक लोग खिसियाते यह गए।
निश्चित रूप से धनदा की यह जीत आम जन की जीत है। यह बात गत दिवस हुए उनके भ्रमण कार्यक्रम में साफ हो गई है। श्रीनगर से लेकर खिर्सू, पाबौ, पैठाणी, त्रिपाली सैंण, चाकीसैण, बूंगीधार, चौथान, थलीसैण क्षेत्र के गांवों में लोगों ने जिस आत्मीयता से उनका अभिवादन किया उससे यह स्पष्ट होता है कि धनदा की जीत के लिए धनदा से कहीं अधिक उस क्षेत्र की जनता थी, जो होली से कहीं पहले से ही रंगों में सराबोर हो रखी है।