गुनाह सबके याद हैं, हंस कर मिलने को माफी मत समझना
बुलंदियों के दौर में भी घन्ना भाई का जमीनी टच गजब का था। जीवन की संघर्ष भरी जर्नी में विपरीत लहरों का चीरता हुआ कला का यह महारथी आगे ही बढ़ता रहा। हर किसी को हंसाने वाला अगर कभी दर्द की बात करे तो यकीं नहीं होगा। लेकिन हास्य के इस समंदर की भी अपनी परेशानियां, अपनी परिस्थितियां और अपने प्रश्न रहे। हालांकि वह अपने दुखड़ों पर भी ठहाके लगवा देते थे। मुश्किलों को कैसे Let go करते हैं इसके वह बड़े उदाहरण हैं। वो कहते थे अन्न खाणा छां, घास नि खंदा रे, कु क्या बव्नू क्या कनु सब पता चा। भुला नेगी या दुन्यां महा जालिम चा, लेकिन सबु दगड़ा हंहदा खिल्दा हाथ जोड़ी रांण रे।
घनानंद गगाड़िया उर्फ घन्ना भाई। यह शख्सियत अब हमारे बीच नहीं रही। देहरादून के इंद्रेश अस्पताल में उन्होंने आज यानी मंगलवार की दोपहर को अंतिम सांस ली। हास्य और संस्कृति के क्षेत्र में उनका योगदान सदा अविस्मरणीय रहेगा। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें। यह खबर समाज के हर वर्ग को निसंदेह ही शोकाकुल करने वाली है।
उनका जन्म 1953 में हुआ। और पौड़ी गगवाड़ा के वह रहने वाले थे।
गढ़वाली फिल्मं ‘घरजवैं’, ‘चक्रचाळ’, ‘बेटी-ब्वारी’, ‘जीतू बगडवाल’, ‘सतमंगल्या’, ‘ब्वारी हो त यनि’, ‘घन्ना भाई एमबीबीएस’, ‘घन्ना गिरगिट’ और ‘यमराज’ मंे उनका अभिनय गजब का है। 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर पौड़ी विधानसभा से चुनाव लड़ा।
इस दुख और परेशान करने वाली घड़ी में भी सोशल मीडिया का भौंडापन शर्मिंदगी कराता नजर आया।