अक्सर देखा गया है कि गांवों में ज्यादातर बच्चे इंटरमीडियट तक ही शिक्षा ग्रहण कर पाते हैं। यह एक तरह का अदृष्य कटऑफ सा है। इस कटऑफ में गांवों की बालिकाएं खासतौर पर आती हैं। कारण यह कि इंटर के बाद हायर एजुकेशन के लिए दूर जाना पड़ता है। जिसमें ग्रामीण परिवेश में अभिभावकों की कमजोर आर्थिकी सबसे पहले बाधा बन जाती है। इंटर तक फुदकते हुए आ रहे ग्रामीण बच्चों के कदमों को आगे जाने से यही मजबूरी ठिठका देती है।
वहीं बालिकाओं को घर से दूर भेजने की तमाम चिंताएं भी इंटरमीडियट तक की शिक्षा को ही पर्याप्त मानने को विवष कर देती हैं। अब नए निर्णयां और बदलावों के साथ नई उम्मीद जगी है। गांवों के नजदीक महाविद्यालय खुलने से गरीब की बेटी का कालेज पढ़ने का सपना भी अब पूरा हो जायेगा। जैसे घरों का काम काज समेटते हुए इंटर तक पढ़ाई पूरी होती है, डिग्रियां भी उसी तरह हासिल हो सकेंगी।
सुखद है कि प्रदेष के उच्च षिक्षा में इस बार कई कल्याणकारी और हितकारी निर्णय हुए हैं। ग्रामीण बच्चों और खासतौर पर बालिकाओं कदम अब इंटरमीडिएट तक ही नहीं ठिठकेंगे। प्रदेष के कई ग्रामीण क्षेत्रों में अब बच्चों को उच्चषिक्षा के समुचित अवसर मिल सकेंगे। उच्चषिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने की इस सोच की जितनी सराहना की जाए कम है।
गत दिवस प्रदेष सरकार ने आठ नए महाविद्यालयों को स्वीकृति दी है। इसमें एक खिर्सू और दूसरा कल्जीखाल पौड़ी जनपद के हिस्से आए हैं। यहीं नहीं ज्यादातर कालेज ग्रामीण क्षेत्रों के ही हैं। अच्छा है कि अब यहां के ग्रामीण बच्चों को घरों नजदीक ही हायर एजुकेशन का अवसर मिल सकेगा। इसका श्रेय उच्च शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत को निसंदेह तौर पर जाता है। इसके लिए प्रदेष के मुखिया और उससे अधिक उच्च शिक्षा मंत्री का आभार तो जन समुदाय की ओर से जताया जाना ही चाहिए।