कारगिलै लड़ै मा छउं पलटनौ आदेश चा, तू उदास ना ह्वू मां, प्रख्यात लोक नरेंद्र सिंह नेगी ने यह सिर्फ गीत की लाइनें ही नहीं लिखी बल्कि देश के लिए प्राणों का सर्वोच्च बलिदान देने वाले जांबाज शहीद का वह संदेश लिखा जिसके आगे सारे संदेशां के मायने ही समाप्त हो जाते हैं। आज कारगिल विजय दिवस है, तो उन शहीदों को याद किया जाना बहुत जरूरी है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दिया। उत्तराखंड की इस मिट्टी को कोटिशः नमन, जहां के जांबाजों ने देश की आन-बान अपने प्राणों तक की परवाह नहीं की। वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के जाबांज सबसे आगे रहे। कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के 75 जवानों ने देश रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहूति दी थी।
कई मांओं की गोद सूनी हो गई तो कईयों की मांग का सिंदूर उजड़ गया, बहन की राखी पूजा की थाली में सजी रह गई। कई घर उजड़ गए। लेकिन इसके बावजूद भी यहां देशभक्ति का जज्बा कम हुआ।
श्रद्धांजलि स्वरूप कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के वीर जवान
महावीरचक्र विजेता – मेजर विवेक गुप्ता, मेजर राजेश अधिकारी।
वीरचक्र विजेता- कश्मीर सिंह, बृजमोहन सिंह, अनुसूया प्रसाद, कुलदीप सिंह, एके सिन्हा, खुशीमन गुरुंग, शशि भूषण घिल्डियाल, रुपेश प्रधान व राजेश शाह।
सेना मेडल विजेता- मोहन सिंह, टीबी क्षेत्री, हरि बहादुर, नरपाल सिंह, देवेंद्र प्रसाद, जगत सिंह, सुरमान सिंह, डबल सिंह, चंदन सिंह, मोहन सिंह, किशन सिंह, शिव सिंह, सुरेंद्र सिंह व संजय।
मेन्स इन डिस्पैच- राम सिंह, हरि सिंह थापा, देवेंद्र सिंह, विक्रम सिंह, मान सिंह, मंगत सिंह, बलवंत सिंह, अमित डबराल, प्रवीण कश्यप, अर्जुन सेन, अनिल कुमार।
किस जनपद से कितने शहीद
जनपद,- शहीद जवान
देहरादून- 28
पौड़ी- 13
टिहरी- 08
नैनीताल- 05
चमोली- 05
अल्मोड- 04
पिथौरागढ़- 04
रुद्रप्रयाग- 03
बागेश्वर- 02
उधमसिंहनगर- 02
उत्तरकाशी- 01
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