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श्रीनगर नगर निगम: जो किसी ने सोचा तक नहीं, ‘धनदा’ ने वह कर दिखाया

संपूर्ण पहाड़ के लिए कैबिनेट मंत्री डा धन सिंह रावत का नायाब तोहफा

यह खबर सिर्फ श्रीनगर ही नहीं बल्कि संपूर्ण पहाड़ को उत्साहित करने वाली है कि अब श्रीनगर नगर पालिका से नगर निगम बन गया है। सरकार की घोषणा के बाद जल्द इस पर होमवर्क भी षुरू हो चुका है। इस पहाड़ी राज्य में पहाड़ों को संजोने की बात करने वाले पुरोधाओं के तमाम किस्से किताबों में हैं, लेकिन श्रीनगर विधान सभा के विधायक और प्रदेष सरकार में कैबिनेट मंत्री डा धन सिंह रावत ने श्रीनगर षहर को निगम बना कर वह कर दिखाया है जिसकी आम जन तो दूर विकास के पुरोधाओं ने कल्पना तक भी षायद ही की होगी। ऐसे में धनदा वाकई सबसे बिंदास और पहाड़ों के सच्चे हितैशी हैं यह बात तय है कि अकाट्य होगी।
उत्तराखंड के पौड़ी जनपद के अंतर्गत आने वाले श्रीनगर नगर परिषद का उच्चीकरण कर यहां के विधायक डा धन सिंह रावत ने इसे नगर निगम बनाने का वह अनूठा कार्य कर दिया है जिसे अब तक लगभग असंभव माना जाता रहा। गौरतलब है किसी क्षेत्र के नगर पालिका से निगम बनने के मानक ही कुछ ऐसे हैं कि पहाड़ी षहरों में इसे असंभव समझा जाता रहा।
प्रदेष में कुल आठ नगर निगम हैं। और सभी मैदानी क्षेत्रों में हैं। इसमें से 2003 में बना देहरादून नगर निगम सबसे पुराना है। इसके अलावा 2011 में हल्द्वानी निगम बना और 2013 में रूद्रपुर, काषीपुर और रूड़की, 2017 में ऋशिकेष और कोटद्वार को नगर निगम का दर्जा मिला।
उक्त निगमों में से सभी की भौगोलिक स्थिति या तो मैदानी है या फिर अधिकांषतः मैदान से सटी है। इन क्षेत्रों का विस्तार इस कदर है कि पहाड़ों में उस फैलाव की कल्पना भी नहीं की जा सकती। लेकिन डा धन सिंह रावत ने अपनी काबिलियत का परिचय देते हुए उत्तराखंड के पहाड़ों पर वह उपकार किया है जिसकी नजीर यहां विकास के नए आयाम स्थापित करेगी।
श्रीनगर को पहला पहाड़ी नगर निगम बनने का गौरव हासिल हुआ है। पहाड़ के इस गौरव का जब कभी और जहां कहीं भी जिक्र आएगा वहां धनदा का नाम जरूर पहले आएगा। निगम बनने से श्रीनगर व आसपास के क्षेत्रों में विकास की संभावनाएं बढ़ गई हैं। यहां स्थानीय विकास के साथ रोजगार, स्वरोजगार और बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी के साथ बदलाव दिखेंगे। वास्तव में पहाड़ों का विकास करने वाले पुरोधाओं के सूची में डा धन सिंह रावत का फिलहाल कोई सानी नहीं।

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