निर्यात प्रोत्साहन पर जिला स्तरीय कार्यशाला का हुआ भव्य आयोजन
उद्यमियों को दी गई अंतरराष्ट्रीय व्यापार की जानकारी, औद्योगिक प्रोफाइल का भी हुआ विमोचन
जिला उद्योग केंद्र कोटद्वार द्वारा एक दिवसीय जिला स्तरीय निर्यात प्रोत्साहन कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में जनपद को एक्सपोर्ट हब के रूप में विकसित करने और उद्यमियों, कारीगरों, स्टार्टअप्स व संभावित निर्यातकों को निर्यात संबंधी प्रक्रियाओं व योजनाओं की जानकारी दी गयी।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में निदेशालय उद्योग उत्तराखण्ड के संयुक्त निदेशक डॉ. दीपक मुरारी उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय राज्यों में स्थानीय उत्पादों की वैश्विक बाजार में अपार संभावनाएं हैं। हमारी प्राथमिकता है कि यहाँ के उद्यमी अंतरराष्ट्रीय व्यापार की बारीकियों को समझें और सरकार की योजनाओं का अधिकतम लाभ उठाएं। इस प्रकार की कार्यशालाएं न केवल ज्ञानवर्धन का माध्यम हैं, बल्कि जनपद को निर्यात के नए द्वार खोलने में भी सहायक सिद्ध होती हैं।
जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक सोमनाथ गर्ग ने कहा कि कोटद्वार को निर्यात हब के रूप में विकसित करना हमारा लक्ष्य है और इस दिशा में यह कार्यशाला एक महत्वपूर्ण कदम है। साथ ही उन्होंने कहा कि जिला उद्योग केन्द्र निरंतर प्रयासरत है कि स्थानीय उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाई जाए और अधिक से अधिक उद्यमी निर्यात गतिविधियों से जुड़ें।
इस दौरान भारत सरकार और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों से आए विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों किया, जिसमें
अभिषेक नैनवाल (इन्वेस्टर मित्र, निदेशालय उद्योग), ए.के. भूषण (उप निदेशक, डीजीएफटी), अनुपमा एवं उत्कर्ष (ईसीजीसी लिमिटेड), अशोक अग्रवाल (केएलए इंडिया लिमिटेड), आशुतोष श्रीवास्तव व आलोक मेहरा (ईपीसी आयुष), मयंक मेहता (मैनेजर, एक्ज़िम बैंक), रितेश शर्मा (एपीडा) तथा विवेक चौहान (सचिव, सिडकुल निर्माता संघ) शामिल रहे। उन्होंने जिला निर्यात योजना, निर्यात पंजीकरण प्रक्रिया, अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानक, डिजिटल मार्केटिंग, वित्तीय सहायता, बीमा सेवाएं, एवं आयुष उत्पादों के निर्यात अवसरों जैसे विषयों पर विस्तृत जानकारी दी। कार्यशाला में लगभग 90 से अधिक उद्यमियों ने भाग लिया, जिन्हें सहभागिता प्रमाणपत्र भी प्रदान किए गए। वहीं जनपद पौड़ी गढ़वाल की औद्योगिक प्रोफाइल पुस्तिका 2024-25 का भी विमोचन किया गया। यह प्रोफाइल नए उद्यमियों को जनपद की भौगोलिक, औद्योगिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक जानकारी प्रदान कर उद्योग स्थापना में सहयोग करेगी।