मत्स्य आहार के लिए सीमांत जनपद चमोली में खुला गोदाम।
स्थानीय स्तर पर मत्स्य आहार की व्यवस्था से किसान उत्साहित। प्रशासन और विभाग का जताया आभार।
जिले में मछली पालन क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आने की जगी उम्मीद।
सीमांत जनपद चमोली में विगत कुछ सालों में मछली पालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा बनकर उभरा है। किसान अब खेती के साथ मछली पालन करके भी अपनी आमदनी को बढा रहे है। लेकिन स्थानीय स्तर पर मछली का आहार की व्यवस्था न होने के कारण मत्स्य पालकों की समस्या बढ़ती जा रही थी। मछली किसानों को मत्स्य आहार खरीदने के लिए देहरादून, रुद्रपुर, हल्द्वानी जैसे बड़े शहरों को जाना पड रहा था। ऐसे में एक या दो तालाबों में मछली पालन करने वाले छोटे किसानों को खासी परेशानी हो रही थी।
किसानों ने अपनी इस समस्या को जिलाधिकारी हिमांशु खुराना के समक्ष रखा। जिलाधिकारी ने जनपद में ही मत्स्य आहार की व्यवस्था बनाने के लिए विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया। मत्स्य विभाग द्वारा स्थानीय स्तर पर ही मछली आहार उपलब्ध कराने हेतु व्यक्तिगत प्रयास किए गए और लोगों को इस क्षेत्र में स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित किया। इस क्षेत्र में स्वरोजगार की संभावनाओं को देखते हुए नंदानगर (घाट) निवासी हरीश राणा ने गोदाम संचालन के लिए मत्स्य विभाग से परामर्श लिया और विभाग के सहयोग से नंदप्रयाग क्षेत्र में सोनला पेट्रोल पंप के समीप मछली आहार हेतु गोदाम का संचालन शुरू किया।
प्रभारी सहायक निदेशक मत्स्य जगदंबा बताते है कि आज हरीश राणा अपने गोदाम से प्रति माह न्यूनतम 10 कुंतल मत्स्य आहार की ब्रिकी कर रहे है। इससे जनपद के मछली पालकों को आसानी से स्थानीय स्तर पर ही मत्स्य आहार मिलने लगा है। साथ ही गोदाम संचालन शुरू करने से हरीश राणा को भी अच्छा स्वरोजगार मिला है। गोदाम से मछलियों का आहार, मेडिसिन, जाल इत्यादि सामग्री भी किसान खरीद सकते है। मछली पालकों ने इसके लिए प्रशासन और विभाग का आभार व्यक्त किया है। जिले में ही मत्स्य आहार मिलने पर अब किसान खासे उत्साहित है और निकट भविष्य में सीमांत जनपद में मत्स्य पालन के क्षेत्र में क्रांतिकारी एवं सकारात्मक बदलाव आने की प्रबल उम्मीद जगी है।