जल जीवन मिशन कार्यों में गति देते हुए समय पर पूरा करें: डीएम
जिलाधिकारी ने ली जल जीवन मिशन व विकासखंड स्तर पर कूड़े के निस्तारण की बैठक
पौड़ी: जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने एनआईसी कक्ष में जल जीवन मिशन योजना के तहत जनपद में हो रहे कार्यों व विकासखंड स्तर पर कूड़े के निस्तारण को लेकर समीक्षा बैठक की। उन्होंने कहा कि जिन विकासखंड़ों में कूड़े के निस्तारण को लेकर कॉम्पेक्टरों का संचालन नहीं किया जा रहा है उनका संचालन तत्काल शुरू करें।
जिलाधिकारी ने विकासखंड़ो में कूड़े के निस्तारण को लेकर जिला पंचायत द्वारा कार्य नहीं किए जाने पर अपर मुख्य अधिकारी को चेतावनी जारी की। उन्होंने सख्त निर्देश दिये कि विकासखंड़ों में कूड़े के निस्तारण को लेकर गंभीरता से कार्य करें। उन्होंने अगरोड़ा, जयहरीखाल, दुगड्डा, थलीसैंण व नैनीडंाडा में कूड़े के निस्तारण के लिए लगे कॉम्पेक्टरों का संचालन शुरू करने के निर्देश संबंधित क्षेत्रों के खंड विकास अधिकारियों को दिये। साथ ही उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में बने सार्वजनिक शौचालयों को चालू अवस्था में रखें। इसके अलावा उन्होंने जल जीवन मिशन कार्यों की समीक्षा करते हुए जल संस्थान व जल निगम के अधिकारियों को जल्द शेष कार्यों को पूर्ण करने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि पाइप लाइनों व पेयजल टैंकों के निर्माण कार्यो को गुणवत्ता के साथ पूरा करें। उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि पंपिंग स्टेशनों में सीसीटीवी कैमरे स्थापित करें जिससे पंपिंग स्टेशनों की निगरानी की जा सके। वहीं उन्होंने जल संस्थान पौड़ी व कोटद्वार के अधिकारियों को कहा कि पेयजल की शिकायतों को लेकर कंट्रोल रूम स्थापित करें और कंट्रोल रूम में तैनात कार्मिकों के फोन नम्बर साझा करें। जिससे आम जनमानस पेयजल की समस्या कंट्रोल रूम को बता सके। साथ ही उन्होंने संबंधित विभाग के अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि जिन गांवों में वैकल्पिक स्त्रोत कम हैं ऐसे गांवों की कार्ययोजना तैयार कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
जिलाधिकारी ने जल निगम व जल संस्थान के अधिकारियों को निर्देश दिये कि जो कार्य प्रगति पर हैं उन्हें गुणवत्ता के साथ जल्द पूर्ण करना सुनिश्चित करें। जिससे आम जनमानस को समय से पेयजल उपलब्ध हो सकेगा। उन्होंने समस्त खंड विकास अधिकारियों को कहा कि हर घर जल प्रमाणन की कार्यवाही कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। बैठक में बताया कि जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत 2933 में से 1838 गांवों में पेयजल प्रमाणित हो चुका है। साथ ही 3590 योजनाओं में से 35 कार्य गतिमान पर हैं। वहीं तृतीय पक्ष निगरानी टीम द्वारा पेयजल गुणवत्ता की जांच कर 339 रिपोर्ट उपलब्ध कराई गई है।