राजकीय महाविद्यालय खिर्सूः उच्च शिक्षा मंत्री के प्रयासों से खुलेंगी सुनहरे भविष्य की राहें
– खिूर्स क्षेत्र के गांवों के बच्चों को अब मिल सकेगा उच्च शिक्षा हासिल करने का अवसर
– आम जनमानस का कहना है कि बच्चों के भविष्य निर्माण के प्रयासों के आगे सब गौण
उत्तराखण्डः पर्यटन ग्राम खिर्सू का सबसे नजदीकी गांव है, ग्वाड़। चलो इसी गांव से शुरूआत करते हैं। गांव के नजदीक जब बच्चों को बाहरवीं तक पढ़ने की सुविधा मिली तो ग्वाड़ गांव नहीं आसपास के दर्जनों गांवों के बच्चों ने इस स्कूल से इंटर पास किया। यहां रोज 10 से 12-15 किमी पैदल चलकर भी छात्र छात्राएं इस स्कूल में पढ़ने पहुंचे। लेकिन उसके बाद का हिसाब देखें तो ज्यादातर के लिए आगे रास्ते बंद हो गए।
लेकिन अब सुखद यह है कि उच्च शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने यहां राजकीय महाविद्यालय की स्थापना की है। जाहिर तौर पर यह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में यहां की भावी पीढ़ी के भविष्य निर्माण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। गत दिनों कालेज के भवन निर्माण हेतु 1.82 करोड़ भी सरकार ने जारी कर दिए हैं।
खिर्सू कठूलस्यूं, चलणस्यू, घुड़दौड़स्यूं, बिडोलस्यूं जैसी चार बड़ी पट्टियों का केंद्र बिंदू है।
इन पट्टियों में दर्जनों नहीं सैकड़ों गांव हैं। मौजूदा समय में इंटरमीडिएट तक पढ़ाई के लिए दर्जनों स्कूल और खुल गए हैं, लेकिन उच्च शिक्षा यहां के लिए अभी दूर की कौड़ी थी। खासतौर पर उस सामान्य आयवर्ग के बच्चों के लिए जो जैसे तैसे अपनी आजीविका चलाते हैं। और दूसरा लड़कियों के लिए जिन्हें चाहकर भी पढ़ाई के लिए शहरों मंे भेजने का जोखिम आज ज्यादातर अभिभावक नहीं उठाना चाहते।
क्षेत्र में जहां हजारों की तादाद में छात्र छात्राएं इंटरमीडिएट पास आउट होते रहे हैं, वहीं उच्चशिक्षा लेने वाले बच्चे यहां आज भी अंगुलियों में गिने जा सकते हैं। नई सोच के नए प्रयासों से क्षेत्र की नई पीढ़ी के सुनहरे भविष्य की नई उम्मीदें जगी हैं।
क्षेत्र के मनवर सिंह, संपत सिंह, विनोद कुमार, जयेंद्र पंवार, नरेंद्र सिंह जैसे लोग उक्त पट्टियों के विभिन्न गांवों से ताल्लुक रखते हैं, वह कहते हैं कि अपने पिछले कार्यकाल में जब क्षेत्र के विधायक और उच्च शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने खिर्सू में डिग्री कालेज की स्वीकृति दी तो सही मायने में यहां दलगत राजनीति के मायने ही खत्म हो गए। कांग्रेस या अन्य दलों से जुड़े लोग भले ही भाजपा के साथ नहीं हो सकते थे लेकिन वह डिग्री कालेज खोलने वाले डा धन सिंह रावत के साथ पूरी सिद्दत के साथ हो लिए। कुछ खुलकर पक्ष में आ गए तो कुछ तटस्थ हो गए। बच्चों के बेहतर भविष्य के प्रयास हों तो इस बात को हर कोई भले से समझता है। यानी यह तोहफा उक्त चारों पट्टियों के सैकड़ों गांवों के लिए किसी नेमत से कम नहीं है।
महाविद्यालय की कक्षाएं फिलहाल इंटरमीडिएट के भवनों पर संचालित हो रही हैं। और गत दिवस पर उच्च शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने कालेज भवन के निर्माण के लिए 1.82 करोड़ की राशि जारी कर दी है। नख्शा खसरा तैयार है, जल्द ही यह भवन तैयार हो जाएगा।
क्षेत्रवासियों का कहना है कि उच्च शिक्षा के इस तोहफे में हमारी पीढ़ियों के हित निहित हैं। ऐसे में छोटे स्वार्थो को लेकर राजनीति करना किसी भी सूरत में समझदारी नहीं है।
यहां बच्चों का उच्च शिक्षा में पिछड़ने का कारण परिवार की आर्थिकी और नजदीक में सुविधा का ना होना रहा है। डा धन सिंह रावत के प्रयासों से अब क्षेत्र के बच्चे पूर्ण रूप से अपने ही क्षेत्र में उच्च शिक्षा हासिल कर सकेंगे, इससे बड़ी बात क्या हो सकती है। इसके लिए डा रावत पूरे क्षेत्र की ओर से साधुवाद के पात्र हैं।